वर्धा-मानचित्र:
विश्वविद्यालय शहर के शोरगुल वाले माहौल से थोड़ी दूरी पर स्थित है। वर्धा भारत के सभी प्रमुख शहरों से सड़क,रेल एवं हवाई यात्रा(वाया-नागपुर) से जुड़ा हुआ है। जिससे अप्रवासी भारतीय/विदेशी विद्यार्थी मुम्बई,नई दिल्ली एवं चेन्नई के जरिए आसानी से वर्धा पहुँच सकते हैं। नागपुर से 70 किलोमीटर दूरी पर बसे वर्धा तक बस/कार द्वारा लगभग एक घंटे में पहुँचा जा सकता है।
विश्वविद्यालय परिसर वर्धा रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर एवं सेवाग्राम रेलवे स्टेशन से 9 किलोमीटर की दूरी पर है। मुम्बई से हावड़ा जाने वाली रेलगाड़िया वर्धा स्टेशन पर तथा दक्षिणी की ओर जाने वाली रेलगाड़ियां सेवाग्राम रेलवे स्टेशन पर रुकती हैं। एक उभरते हुए व्यावसायिक केन्द्र होने के कारण नागपुर से मुम्बई (रोजाना 5 उड़ाने आगमन-प्रस्थान), नई दिल्ली ( रोजाना 2 उड़ाने आगमन-प्रस्थान), हैदराबाद ( रोजाना 1 उड़ान) तथा कोलकाता( रोजाना 1 उड़ान) तक हवाई यातायात की अच्छी सुविधा उपलब्ध है। पुणे और नागपुर के बीच हवाई यात्रा शीघ्र प्रारम्भ होने वाली है जिससे आवागमन और आसान हो जाएगा। नागपुर अन्तरराष्ट्रीय हवाई मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुका है। नागपुर से शारजाह (एयर अरबिया) तथा बैंकाक (इंडियन एयरलाइन्स) के लिए सप्ताह में तीन दिन सीधी उड़ानें उपलब्ध है। दोहा और लंदन के लिए भी सीधी हवाई यात्रा शीघ्र ही प्रारम्भ होने वाली है। नागपुर से वर्धा के लिए नियमित अंतराल पर बस सेवा उपलब्ध है जिससे विश्वविद्यालय परिसर में पहुँच आसान है।
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नागपुर से
नागपुर रेलवे स्टेशन से: मुख्य बस स्टेशन या मोर भवन बस स्टेशन तक जाने के लिए आॅटो ले सकते है। किराया लगभग 20-30 रुपये हो सकता है।
नागपुर बस स्टेशन से: नागपुर से वर्धा के लिए नियमित अंतराल पर बस सेवा उपलब्ध है। किराया लगभग 50-55 रुपये हो सकता है।
बस से वर्धा पहुँचने पर: धूनीवाले मठ पर उतरें और विश्वविद्यालय पहुँचने के लिए आॅटो किराये पर ले सकते है। किराया लगभग 60 रुपये हो सकता है।
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वर्धा रेलवे स्टेशन से
वर्धा रेलवे/बस स्टेशन से विश्वविद्यालय 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेलवे/बस स्टेशन से विश्वविद्यालय पहुँचने के लिए आॅटो किराये पर ले सकते है। किराया लगभग 80 रुपये हो सकता है।
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मौसम :
गर्मी में तापमान: 26-40 डिग्री सेन्टीग्रेड
सर्दी में तापमान: 10-23 डिग्री सेन्टीग्रेड
औसत वर्षा: 450 मिमी
ऐतिहासिक महत्व
:
सेवाग्राम की प्रार्थना, पवनार का मोर्चा और आष्टी का क्रांतिकारी स्वतन्त्रता संघर्ष वर्धा जिले का प्राणतत्व है। महाराष्ट्र के अन्य जिले की तुलना में छोटा होते हुए भी यह अपने कृतित्व में बहुत बड़ा है।आज का वर्धा जिला 1862 तक नागपुर जिले का ही भाग था। आगे चलकर सुचारु प्रशासनिक उद्देश्य को ध्यान में रखकर इसे अलग किया गया और पुलगांव के नजदीक कवठा में जिला मुख्यालय बनाया गया। सन 1866 में जिला मुख्यालय पालकवाड़ी गाँव में ले जाया गया (जो आज भी मौजूद है) और वहीं पर वर्धा शहर बसा था। वर्धा जिला तीन खण्ड़ों एवं आठ तहसीलों में बँटा हुआ है।
महान राजनीतिक पृष्ठभूमि
1934 में महात्मा गाँधी वर्धा में आए। उन्होंने जमनालाल बजाज के साथ अपने कर्मक्षेत्र के रुप में सेगाँव को चुना। बाद मे सेगाँव का नाम बदल कर सेवाग्राम हो गया। इसके बाद वर्धा न केवल भारत में बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध हो गया। भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम में सेवाग्राम और वर्धा अमर क्षेत्र की भाँति है। गाँधी जी के निर्देशानुसार आचार्य विनोबा भावे पवनार में बस गए और धाम नदी के किनारे वर्धा-नागपुर रोड पर एक आश्रम स्थापित किया।
विनोबा भावे लम्बे समय तक वर्धा के गोपुरी गाँव में भी रहे। जमनालाल बजाज जिस जगह छोटी सी झोपड़ी में रुकते थे वहीं आज गीताई मंदिर बना हुआ है।
अनेक महत्वपूर्ण नेताओं ने राजनीतिक,सामाजिक एवं शैक्षिक तरीकों के नवीन दृष्टिकोण को देने के लिए वर्धा की यात्रा की । राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद, मौलाना अब्दुल कलाम आजाद,पं. जवाहर लाल नेहरू, आचार्य कृपलानी, लालबहादुर शास्त्री, वीर सावरकर, सुभाष चन्द्र बोस, खान अब्दुल गफ्फार खान,नारायणजी अग्रवाल,राजर्षि टण्डन, डाॅ. राधाकृष्णन, इंदिरा गाँधी, आचार्य आर्यनायकम, डाॅ. जे.सी. कुमारप्पा, कामराज, आचार्य धर्माधिकारी, कवि केशवसुत, राममनोहर लोहिया, सरोजिनी नायडू इत्यादि महान व्यक्तित्व वर्धा में आए थे।
भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय सेवाग्राम आश्रम में लिए गए। इसलिए सेवाग्राम को गैर-सरकारी राजधानी के रूप में जाना जाने लगा। विभिन्न धर्मो एवं देशों के प्रतिनिधि दल आश्रम आकर राजनीतिक, सामाजिक एवं धार्मिक मुद्दों पर गाँधी से समाधान पर चर्चा करते थे। ब्रिटिश गर्वनर लार्ड लोथियन वर्धा आए और बैलगाड़ी में यात्रा की। चीन की चांग कासेक, अमरीका के लुई फिशर आश्रम में आकर ही भारत की वास्तविक समस्याओं को समझ सके।