निःशस्त्र अहिंसा की शक्ति किसी भी परिस्थिति में सशस्त्र शक्ति से सर्वश्रेष्ठ होगी।

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जनसंचार विभाग के एम.ए. चतुर्थ सेमेस्टर एवं चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम षष्ठम सेमेस्टर के विद्यार्थियों के परियोजना कार्य के संबंध में।



भारतीय सामाजिक अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई होलकर पर विशिष्ट शोध परियोजना हेतु प्रस्ताव आमंत्रित किये जाने के संबंध में।



प्रो. दिगंबर तंगलवाड को निदेशक, डॉ. बाबासाहब अंबेडकर सिदो कान्‍हू-मुर्मु दलित एवं जनजातीय अध्‍ययन केंद्र का दायित्‍व सौंपने संबंधी कार्यालयादेश।



संस्कृत विभाग, स्नातक कार्यक्रम, षष्ठम सेमेस्टर के विद्यार्थियों के परियोजना कार्य के संबंध में।



वाटर कूलरों की साफ-सफाई के संबंध में।



हिंदी विश्वविद्यालय में डॉ. आंबेडकर जयंती पर कुलपति प्रो. कुमुद शर्मा ने किया माल्यार्पण



पी-एच.डी. स्‍त्री अध्‍ययन (सत्र : 2020-21) में शोधरत शोधार्थियों की D.R.M.C. की बैठक के संबंध में।

पी-एच.डी. स्‍त्री अध्‍ययन (सत्र : 2021-22) में शोधरत शोधार्थियों की D.R.M.C. की बैठक के संबंध में।



शोधार्थी श्री सुनील कुमार को पी-एच.डी. उपाधि प्रदान किए जाने के संबंध में।



अनुशासन समिति की अन्तिम रिपोर्ट प्राप्त होने तक 13 विद्यार्थियों (सूची संलग्‍न) को तत्काल प्रभाव से छात्रावास से निष्कासित किये जाने के संबंध में।

छात्र समूहों द्वारा विश्वविद्यालय ऑडिटोरियम एवम् संसाधनों के उपयोग हेतु प्रस्तावों के संबंध में।

डॉ. संदीप सपकाले, सहायक प्रोफेसर को प्रॉक्‍टोरियल बोर्ड का सदस्‍य नामित किये जाने संबंधी।



जनसंचार विभाग की पी-एच.डी. शोधार्थी सुश्री मोनिका शर्मा की पूर्व-प्रस्तुति के संबंध में।



विश्‍वविद्यालय में कोऑपरेटिव मेस के सुचारू संचालन हेतु की गई व्‍यवस्‍था के संबंध में।



शोधार्थियों/विद्यार्थियों के स्‍वास्‍थ्‍य बीमा कार्ड दिनांक 07.04.2025 से कुलानुशासक कार्यालय से प्राप्‍त करने के संबंध में।



नियमित/पूरक परीक्षा आवेदन-प्रपत्र भरने के संबध में।

परीक्षा आवेदन-प्रपत्र भरने के लिए यहाँ क्लिक करें!



विश्‍वविद्यालय के अस्‍पताल के लिये दवाइयों के क्रय हेतु आमंत्रित निविदा



समय सारणी (सत्र : 2024-25) संशोधित : मनोविज्ञान विभाग, शिक्षा विद्यापीठ



विश्वविद्यालय के शोधार्थियों/विद्यार्थियों हेतु मेस की नयी व्‍यवस्‍था (कोऑपरेटिव) से संबंधित कार्यालयादेश।



हिंदी विवि में 'आधुनिक अर्थव्यवस्था में भारतीय किसानों के प्रश्न' पर हुआ व्‍याख्‍यान



महाराष्‍ट्र जीवन प्राधिकरण द्वारा जलापूर्ति कम मात्रा में किये जाने से जल का संयमित उपयोग करने का निवेदन।



प्रशिक्षु छात्रों की रचनात्मकता को बढ़ावा देना जरूरी : प्रो. गोपाल कृष्ण ठाकुर



विश्वविद्यालय के समस्त शिक्षकों एवं शिक्षकेतर कर्मियों को आधिकारिक ई-मेल आईडी उपयोग करने के संबंध में।

आईटी/कंप्यूटर/प्रिन्टर/इंटरनेट से संबंधित समस्या की शिकायत समर्थ पोर्टल के माध्यम से किए जाने के संबंध में।



विज्ञापन क्रमांक (MGAHV/06/2024 दिनांक 27.06.2024) को निरस्त किए जाने के संबंध में सूचना।


रोज़गार सूचना (कुलसचिव, वित्ताधिकारी एवं परीक्षा नियंत्रक के पद हेतु)


कुलसचिव, वित्ताधिकारी एवं परीक्षा नियंत्रक के पद हेतु रोज़गार सूचना।

कुलसचिव, वित्ताधिकारी एवं परीक्षा नियंत्रक के पद हेतु ऑनलाइन आवेदन के लिये यहाँ क्लिक करें!

ऑनलाइन आवेदन करने की अंतिम तिथि संबंधित सूचना ।



परीक्षा परिणाम :


अंतर जिला युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम का हुआ समापन


अंतर जिला युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम का हुआ समापन।



विश्वविद्यालय में वर्ष 2025 हेतु राजपत्रित एवं वैकल्पिक अवकाश संबंधी परिपत्र।



वित्तीय वर्ष 2024-25 हेतु आकस्मिक राशि के संबंध में।


हिंदी शिक्षण अधिगम केंद्र

निदेशक का संदेश

विश्वविद्यालय में हिंदी शिक्षण अधिगम केंद्र की स्थापना हिंदी को अधिकाधिक उपयोगी एवं प्रासंगिक बनाने और उसके संवर्धन व विकास हेतु विविध आयामी कार्यक्रमों तथा उपक्रमों को संचालित करने के लिए की गई है। इसका उद्देश्य राष्ट्रीय भाषा के साथ ही अंतरराष्ट्रीय भाषा के रूप में हिंदी की भूमिका को प्रकाशित करने एवं प्रवासी भारतीयों के बीच अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में हिंदी को विकसित करना भी है। संसार के प्रत्येक भू-भाग में रहने वाले भारतवंशी अपनी साझी विरासत की भाषा के रूप में हिंदी के महत्व को स्वीकार करते हुए उसे उपयुक्त एवं प्रासंगिक बनाए रखने के लिए कृतसंकल्प हो सकें, केंद्र इस दिशा में भी सार्थक प्रयास हेतु संकल्पबद्ध है।

भारत के लिए हिंदी मात्र एक भाषा न होकर उसकी अस्मिता की पहचान है, जड़ों से जुड़ने की सार्थक कोशिश है। हिंदी भाषा के प्रति देश में अनन्य आकर्षण है। विविध-आयामी संस्थाओं, विद्यालयों, परिषदों, आयोगों, संघों, धार्मिक प्रतिष्ठानों, न्यायालयों, अस्पतालों आदि में हिंदी के नियमित प्रयोग को प्रोत्साहन देना हमारा अभीष्ट है। संपूर्ण देश में हिंदी सिनेमा, गीतों-गजलों व भजनों आदि का हिंदी में प्रयोग-उपयोग इसका प्रमाण है।

हिंदी के प्रचार-प्रसार, विकास व सम्मान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले हिंदी सेवियों की एक लंबी सूची है, जो संपूर्ण विश्व में हिंदी को समृद्ध करने में लगे हैं। हिंदी को विश्व भाषा बनाने में उन प्रवासी भारतीयों का प्रमुख योगदान है, जो व्यापार अथवा मजदूरी के लिए दूसरे देशों में गये लेकिन जिन्होंने वहाँ अपनी संस्कृति और भाषा को कभी विस्मृत नहीं होने दिया। इसके अतिरिक्त बहुत सारे विदेशी विद्वानों ने भी हिंदी के संवर्धन एवं विकास में अपना बहुमूल्य योग दिया है। अत: इन सभी तथ्यों के आलोक में कार्यक्रमों की योजना बनाना और तदनुसार उसे क्रियान्वित करना केंद्र का लक्ष्य है, जिसे प्राप्त करने हेतु यह निरंतर अग्रसर है।

केंद्र का उद्देश्य

हिंदी शिक्षण अधिगम केंद्र (TLCHS) के उद्देश्‍य निम्‍नलिखित कार्यक्रमों/ योजनाओं का क्रियान्‍वयन करना है-

  • हिंदी शिक्षण के पाठ्यक्रम/ पाठ्यचर्या संरचना/ रूपरेखा के विकास संबंधी कार्यक्रम।
  • हिंदी शिक्षण हेतु पाठ्यक्रम संरचना में प्रतिमानात्‍मक बदलाव के आलोक में मूल्‍यांकन पद्धति के विकास संबंधी कार्यक्रम।
  • हिंदी शिक्षण में पाठ्यक्रम ढाँचे/ संरचना के विकास के अनुरूप वैकल्पिक शिक्षा वैज्ञानिक अंत:क्षेपों (Pedagogic interventions) को स्‍पष्‍ट करने संबंधी कार्यक्रम।
  • हिंदी शिक्षण हेतु शिक्षण-अधिगम सामग्री के विकास संबंधी कार्यक्रम।
  • हिंदी शिक्षण के लिए पाठ्य पुस्‍तक/ पुस्तिका के विकास से संबंधित कार्यक्रम।
  • क्षेत्रीय/ प्रादेशिक भाषाओं में/ से मूलपाठ के अनुवाद हेतु कार्यक्रम।
  • हिंदी तथा भाषा वैज्ञानिक शिक्षण से संबंधित शोध के प्रोत्‍साहन हेतु संसाधनों, संदर्भ सेवा, इलेक्‍ट्रानिक डाटाबेस के भण्‍डारण तथा ई-सामग्री के विकास से संबंधित कार्यक्रम।
  • हिंदी शिक्षण के प्रोत्‍साहन हेतु अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर विश्‍वविद्यालयों, महाविद्यालयों, उच्‍च शिक्षा केंद्रों का संजाल/ समूह विकसित करने संबंधी बहुआयामी कार्यक्रम।
  • हिंदी में पाठ्य पुस्‍तकों के विकास एवं निर्माण संबंधी कार्यक्रम।
  • सृजनात्‍मक लेखन के लिए पाठ्यक्रम निर्माण व विकास संबंधी कार्यक्रम।
  • हिंदी एवं कला, हिंदी एवं हिंदी साहित्‍य, हिंदी एवं भारतीय संस्‍कृति के साथ ही अन्‍य विषयों पर शोध संबंधी कार्यक्रम।
  • हिंदी में संदर्भ कोश/ पारिभाषिक कोश/ प्रासंगिक कोश के विकास हेतु कार्यक्रम।