
कुलपति संदेश
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय एक विशिष्ट विश्वविद्यालय है। यह विद्या उपार्जन का एकमात्र ऐसा केंद्र है, जिसका उद्देश्य हिंदी भाषा और साहित्य के संवर्धन, विकास और वैश्विक प्रचार-प्रसार के साथ ही भारतीय ज्ञान-परंपरा की पुनर्प्रतिष्ठा तथा भाषायी विविधता का संरक्षण करना है। महात्मा गांधी और विनोबा भावे की पावन कर्मभूमि वर्धा में स्थापित यह विश्वविद्यालय अपने स्थापना काल से ही इन उद्देश्यों को फलीभूत करने हेतु सतत प्रयत्नशील है।
यह विश्वविद्यालय तीन बीज शब्दों- महात्मा गांधी, अंतरराष्ट्रीय और हिंदी को आत्मसात करता है। यहाँ हिंदी की विविध विधाओं में शिक्षण और शोध के साथ-साथ तुलनात्मक साहित्य, अनुवाद एवं निर्वचन, भारतीय भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेज़ी और विदेशी भाषा-अध्ययन, भाषा-विज्ञान और भाषा-प्रौद्योगिकी, संस्कृति, जनसंचार, मानवविज्ञान, शिक्षा, प्रबंधन, समाज कार्य, दर्शन तथा विधि-अध्ययन जैसे विविध क्षेत्रों में शोध, नवाचार और सृजनशीलता को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
ज्ञान, शांति, मैत्री जैसा ध्येय वाक्य विश्वविद्यालय का मार्गदर्शक सिद्धांत है। इसी सिद्धांत के आधार पर यहाँ संचालित कार्यक्रमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 पर विशेष बल दिया जा रहा है, जिसके केंद्र में भारतीय भाषाएँ, संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान और समावेशी शिक्षा की अवधारणा है। यह नीति बहुभाषिकता, मातृभाषा में शिक्षा, लचीलापन, बहु-विषयकता, अंतरानुशासनिकता, नैतिक मूल्यों और कौशल विकास जैसे महत्त्वपूर्ण आधारों पर टिकी है। विश्वविद्यालय इन सभी तत्त्वों को समाहित करते हुए शिक्षा को अधिक सुलभ, गुणवत्तापूर्ण, व्यावहारिक और रोज़गारोन्मुखी बनाने हेतु कटिबद्ध है।
हिंदी भाषा में उच्च शिक्षा और शोध के अवसर देकर हम न केवल विद्यार्थियों की बौद्धिक क्षमताओं और आत्मविश्वास को प्रबल करते हैं, अपितु संघ की भाषायी नीति का पालन करते हुए भारतीय सांस्कृतिक विविधता को सहेजने और भाषायी एकात्मकता को सुदृढ़ करने में भी अपनी सशक्त भूमिका का निर्वहन करते हैं। इसी भावना से हम दूर शिक्षा निदेशालय के माध्यम से देश के दूरवर्ती क्षेत्रों में निवास करने वाले विद्यार्थियों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पहुँचाने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि शिक्षा का लोकतंत्रीकरण संभव हो और प्रत्येक श्रेणी के शिक्षार्थियों को हिंदी में ज्ञानार्जन का अवसर प्राप्त हो सके।
हम भारतीय सामासिकता और सांस्कृतिक एकता को केंद्र में रखते हुए राष्ट्र-निर्माण में शिक्षा की भूमिका को सतत पुनर्परिभाषित कर रहे हैं। हमारा उद्देश्य केवल उपाधियाँ प्रदान करना नहीं, अपितु समाज के लिए जागरूक, उत्तरदायी और नीतिवान नागरिक तैयार करना है, जो ज्ञान, भाषा और संस्कृति के सेतु बन सकें।
हिंदी भाषा, साहित्य और शोध को समृद्ध करने के लिए विश्वविद्यालय अनेक माध्यमों से यत्नशील है। ‘बहुवचन’ एवं ‘पुस्तक-वार्ता’ जैसी प्रतिष्ठित शोध-पत्रिकाएँ साहित्यिक विमर्श, आलोचना और संवाद की परंपरा को समृद्ध कर रही हैं। साथ ही, हमारा डिजिटल उपक्रम ‘हिंदीसमयडॉटकॉम’ हिंदी को विश्वभाषा बनाने की दिशा में एक प्रभावी प्रयास है। इस मंच के माध्यम से अभी तक के कॉपीराइट-मुक्त महत्त्वपूर्ण साहित्य के लगभग दस लाख से अधिक पृष्ठों को डिजिटल स्वरूप में विश्वभर के पाठकों के लिए सुलभ कराया गया है। यह विश्वविद्यालय विदेशों में स्थित संस्थानों के लिए हिंदी और हिंदी-माध्यम से विभिन्न अनुशासनों के अध्ययन-अनुसंधान के समन्वयक की भूमिका में है।
विश्वविद्यालय की सुदृढ़ उपस्थिति केवल शैक्षणिक गतिविधियों तक सीमित नहीं है, अपितु हिंदी प्रकाशन-जगत् में भी इसका विशिष्ट योगदान है। ‘भारतीय ज्ञान परंपरा और विचारक’, ‘पाणिनिकालीन भारतवर्ष’, ‘स्मृति, मति और प्रज्ञा’ (धर्मपाल से उदयन वाजपेयी की बातचीत), ‘हिंदी की जनपदीय कविता’, ‘भारतबोध : सनातन और सामयिक’, ‘हिंदी जगत् : विस्तार एवं संभावनाएँ’, ‘वर्धा हिंदी शब्दकोश’, ‘तुलनात्मक साहित्य विश्वकोश’ और ‘समाज-विज्ञान विश्वकोश’ जैसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ इस बात के प्रमाण हैं कि विश्वविद्यालय हिंदी और भारतीय ज्ञान-परंपरा को पुनर्स्थापित करने के लिए कटिबद्ध है। इस दिशा में हम निरंतर क्रियाशील हैं, ताकि दुर्लभ ग्रंथों के साथ-साथ भारतीय ज्ञान-परंपरा को समृद्ध करने वाली पुस्तकें व पाठ्य-सामग्री उपलब्ध करा सकें।
विश्वविद्यालय में संचालित कार्यक्रमों में कौशल विकास और शोध पर विशेष बल दिया जा रहा है, ताकि भारत को निज स्वत्व जागरण के साथ एक ज्ञान-आधारित समाज और वैश्विक महाशक्ति के रूप में प्रतिष्ठित किया जा सके। महात्मा गांधी के नाम पर स्थापित यह विश्वविद्यालय, उन्हीं के उस दृष्टिकोण को प्रबल करता है, जिसमें स्वराज के साथ-साथ स्वभाषा, विशेषतः हिंदी की चिंता निहित थी। इस दिशा में हम वर्धा मुख्यालय (महाराष्ट्र) के साथ ही प्रयागराज (उत्तर प्रदेश), कोलकाता (पश्चिम बंगाल) स्थित क्षेत्रीय केंद्र और रिद्धपुर (महाराष्ट्र) स्थित 'ऑफ कैंपस' के माध्यम से भी विस्तार दे रहे हैं। साथ ही, दक्षिण तथा पूर्वोत्तर भारत में विस्तार की शाखाओं की खोज कर रहे हैं।
आइए, हम सब मिलकर राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के आलोक में हिंदी एवं भारतीय भाषाओं के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण में सहभागी बनें।
- प्रो. कुमुद शर्मा
कुलपति
महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा
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शैक्षणिक सदस्य
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क्र.
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नाम
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पदनाम
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01
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प्रो.आनन्द पाटील
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प्रोफेसर
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02
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डॉ. शंभू जोशी
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एसोसिएट प्रोफेसर, निदेशक
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03
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डॉ. अमरेंद्र कुमार शर्मा
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एसोसिएट प्रोफेसर
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04
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डॉ. प्रियंका मिश्र
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एसोसिएट प्रोफेसर
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05
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डॉ. परिमल प्रियदर्शी
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अनुसंधान अधिकारी (नॉन-वेकेशनल)
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गैर-शैक्षणिक सदस्य
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01
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डॉ.एम.एम.मंगोड़ी
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क्षेत्रीय निदेशक
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02
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डॉ.प्रकाश नारायण त्रिपाठी
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सहायक क्षेत्रीय निदेशक
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निदेशक संदेश
डॉ. शंभू जोशी
हिंदी केवल भारत की नहीं वरन विश्व की सबसे अधिक वैज्ञानिक भाषा है। यह ज्ञान-विज्ञान के समस्त क्षेत्रों में अभिव्यक्ति के लिए न केवल उपयोगी है प्रत्युत वैश्विक संदर्भों में इसकी सार्थकता को भी सभी ने स्वीकार किया है। नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के अंतर्गत बिना किसी भेदभाव के भारतीय समाज के प्रत्येक व्यक्ति तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को पहुँचाना प्रमुख लक्ष्य है। यह केवल ज्ञान प्रदान करने का माध्यम मात्र नहीं होगी वरन श्रेष्ठ व्यक्ति के निर्माण की संकल्पना को चरितार्थ करना इसका ध्येय है। यह शिक्षा प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा, आधुनिक जीवन मूल्यों और भविष्य की चुनौतियों को केंद्र में रखकर समन्वयवादी दृष्टि की होगी। इसीलिए महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय ने भारत के प्रत्येक व्यक्ति तक शिक्षा को पहुँचने की दृष्टि से विभिन्न योजनाओं का क्रियान्वयन आरंभ कर दिया है। जिसका लक्ष्य भारत के प्रत्येक व्यक्ति तक मूल्यपरक शिक्षा को पहुँचाना है।
शिक्षा संस्थानों की कमी, आर्थिक संसाधनों के अभाव और व्यस्ततम जीवनचर्या के कारण उच्च शिक्षा से वंचित रह जाने वाले समाजिकों के लिए दूर शिक्षा अत्यंत महत्वपूर्ण माध्यम है। महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, हिंदी भाषा के माध्यम से विभिन्न विषयों की शिक्षा देने के लिए संकल्पबद्ध है। निश्चित रूप से नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति की मूल स्थापनाओं में शोध के नये आयामों और नवाचार के प्रतिमानों को प्राप्त करने में यह विश्वविद्यालय अग्रणी भूमिका निभाने के लिए तत्पर है। इस दिशा में दूर शिक्षा निदेशालय विभिन्न पाठ्यक्रमों जिनमें रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रम भी सम्मिलित हैं, के संचालन द्वारा भारत में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन द्वारा ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को चरितार्थ करने की दिशा में अग्रसर है। नये और उन्नत भारत के निर्माण में आप सभी का स्वागत है।
विश्वविद्यालय के अधिनियम की धारा 4 में उल्लिखित विश्वविद्यालय के उद्देश्यों में बताया गया है कि विश्वविद्यालय का उद्देश्य - ' दूर शिक्षा पद्धति के माध्यम से हिन्दी को लोकप्रिय बनाना होगा '। साथ ही धारा 5, उपबन्ध (5) के अन्तर्गत विश्वविद्यालय को प्रदत्त शक्तियों में यह बताया गया है कि ' दूर शिक्षा पद्धति के माध्यम से उन व्यक्तियों को जिनके बारे में वह अवधारित करे, सुविधाएँ प्रदान करना है '|
इस पृष्ठभूमि के आलोक में 15 जून, 2007 को महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के दूर शिक्षा कार्यक्रम का उद्घाटन भारत के महामहिम राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए महामहिम राष्ट्रपति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा रेखांकित किया गया कि -
विश्वविद्यालय के दूरस्थ शिक्षा केन्द्र का उद्देश्य हिन्दी भाषा के माध्यम से ज्ञान के नवीनतम अनुशासनों की शिक्षा समाज के हर तबके-विशेष तौर पर समाज के हाशिए पर रह रहे शिक्षा से वंचित लोगों तक पहुँचाना है। यह केन्द्र हिन्दी भाषा को आधार बनाकर प्रबन्धन, सूचना प्रौद्योगिकी, अनुवाद आदि अनुशासनों में शिक्षण, मौलिक सोच एवं लेखन को प्रोत्साहित करने हेतु कटिबद्ध है। यह केन्द्र स्त्री-अध्ययन, अहिंसा एवं शांति अध्ययन जैसे नवीनतम अनुशासनों को व्यापक समाज तक पहुँचाने का प्रयास करेगा, ताकि विश्वशान्ति एवं समता जैसे मूल्यों को व्यावहारिक तौर पर सिद्ध किया जा सके। हिन्दी में मौलिक-वैकल्पिक सोच एवं शोध के लिए प्रतिबद्ध इस विश्वविद्यालय का दूरस्थ शिक्षा केन्द्र यह प्रयास करेगा कि एक ओर दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रम शोध/अनुसंधान द्वारा हिन्दी एवं ज्ञान के अनुशासनों में मौलिक सृजन करे, साथ ही, दूसरी ओर हिन्दी भाषा के माध्यम से रोजगारोन्मुख पाठ्यक्रमों द्वारा समाज की आवश्यकताओं की पूर्ति कर सके। देश में उच्च शिक्षा के लगातार महँगे एवं आमजन की पहुँच से दूर होने के इस दौर में दूरस्थ शिक्षा की भूमिका निर्विवाद एवं महत्वपूर्ण है।
अत: यह केन्द्र उन सभी व्यक्तियों के लिए शिक्षा प्राप्ति का एक बेहतर अवसर प्रदान कर सकेगा जो किसी कारण शिक्षा प्राप्त नहीं कर सके। आशा है कि इसी राह पर चलते हुए यह केन्द्र अपने ध्येय 'शिक्षा जन-जन के द्वार' को चरितार्थ कर सकेगा।
महात्मा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय का दूरस्थ शिक्षा केन्द्र वर्तमान शिक्षा व्यवस्था के लिए विकल्प उपस्थित करने, हिन्दी में मौलिक सोच एवं अनुसंधान, समाज के हर तबके विशेष तौर पर शिक्षा से वंचित तबकों के लिए उच्च शिक्षा तक पहुँच आसान बनाने हेतु ज्ञान के नवीनतम अनुशासनों की हिन्दी भाषा के माध्यम से मौलिक प्रस्तुति एवं नवीनतम तकनीकों का प्रयोग करते हुए दूरस्थ शिक्षा कार्यक्रमों के हिन्दी माध्यम से प्रचार-प्रसार को सुनिश्चित करेगा।